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कौन बनाता है ब्रेकिंग न्यूज कौन खड़े करता है बवाल? औनली ऑन एक ही जवाब मीडिया।

देशभक्त भारत
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कौन बनाता है ब्रेकिंग न्यूज कौन खड़े करता है बवाल? औनली ऑन एक ही जवाब मीडिया।
जी हाँ हर बात को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाली ये मीडिया कब सुधरेगी पता नहीं। दो घटनाओं को लेते है यहाँ। पिछले दो दिन पहले गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी का एक इन्टरव्यू हुआ। उनके बयान से एक लाइन कुत्ते का बच्चा को निकाल कर मीडिया ने खूब अपने चैनलों पर दिखाया और ऐसा दिखाया जैसा कि उन्होनें एक धर्म विशेष को कुत्ते का बच्चा कह दिया हो। इस बयान को चला चला कर पूरे जगह सनसनी फैला दिया गयी। जबकि दूसरे तरफ बसपा के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के परिवार जन सपा में भर्ती होने जा रहे थे। लेकिन उसकी तरफ मीडिया ने ध्यान ही नहीं दिया। मतलब देखा जाये तो ऐसा लगता है जैसा कि भारत छोड़ो पूरे दुनिया में एक पत्ता नहीं हिल रहा हो। उसी वक्त मेरठ की एक लड़की रजिया को मलाला अवार्ड मिल रहा था। पर ये भी मीडिया के लिए विषय नहीं था। उसी वक्त बोफोर्स घोटाले का मुख्य आरोपी क्वात्रोची की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है,। अब उसका काला चिठ्ठा खोलने के बजाय मीडिया मोदी के पीछे ही पड़े रहे। पुणे यूनिवर्सिटी में मोदी जी ने करीब 2 घण्टे सम्बोधित किया। फिर बीजेपी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया। अब उसमें उन्होने क्या कहा किस तरह नये विचार दिए?, जनता को ये बताने के बजाय शाम की हेडिग क्या होती है- क्या सेक्युलिजरम के बुर्के में छुप जाती है कांग्रेस? मैं आपको बता दूँ मित्रों कि इस लाइन को मीडिया ने इतना उछाला कि जो जानता भी नहीं था या जिसने केयर भी नहीं किया था वो भी जान गया। फिर आरोप प्रत्यारोप का दोष शुरू हो गया। औऱ सबके बयान को बीस बार तीस बार दिखाकर टीआरपी बटोरने का दौर शुरू हो गया। जनता चाहती है कि कुछ कार्यक्रम देखे। देश के हालत देखे। पर मीडिया तो मीडिया। ये क्यों सुधरे? अब या तो चैनल बदल कर सीरियल देखो या टीवी बन्द अखबार पढ़ों। बुर्का खाकी शुरू हो गया। किसने इस लाइन को टीआरपी दिया- जवाब है मीडिया। ये रोज का धन्धा हो गया है। पहले ऐसे कार्यक्रम बहुत कम होते थे। पर अब तो जैसे नियम बन गया है। चार घण्टा बहस जरूरी है। आज कुछ नहीं मिला पुराना कब्र खोदो। बहस होनी चाहिए पर आरोप वाला नहीं। देश कैसे आगे बढ़े, कैसे विकास हो। पूरा तरह से निरपेक्ष होकर। पर होता क्या है। एक चैनल है एनडीटीवी इसका जो एंकर है ऐसा लगता है बिका हो। अपनी बात मनवायेगा या अपनी विचारधारा लायेगा। किसी ने सही बात कह दी तो या तो माइक छीन लेगा या ब्रेक ले लेगा। गुजरात दंगो पर बोलना हो तो खुब धाराप्रवाह बोलता है। सिख दंगा, कश्मीर दंगा पर चुप हो जाता है। आरक्षण का विरोध तार्किक रूप से करो तो आपका माइक छिन लेगा। अतार्किक रूप से सर्मथन करो तो पूरा माइक मुँह में ठूँस देगा। नहीं ये ऐसा करता है, आप हँस रहे होगे पर करता है इसके सारे पत्रकार ऐसा करते है। बड़े अजीब है।
एक बात जो मैंने देखी, कोई मुद्दे का हल नहीं निकलता है। दामिनी केस इतने पर्दशन हुए क्या हुए। रेप छेड़खानी और बढ़ गये। क्यों। और काटो तना। जड़ कौन तुम्हारा बाप काटेगा। मैंने देखा रोज चार घण्टे की बहस आरोप लगायों। इन चार घण्टे में क्या हूआ। कोई संस्कारी कार्यक्रम नही आया। थोड़ा सा किसी ने कोई बात कह दी कपड़े पर , शहरीकरण, पश्चिमीकरण पर तो आप रूढ़िवादी हो गये। एक लाइन को उठाकर चार घण्टे की बहस। अब ऊपर वाली बात पर मुझसे बहस ना करना । उदाहरण दिया है। मैंने देखा विज्ञापन में । सेन्ट लगाओ लड़की पटाओ। मोबाइल चाकलेट सब में लड़की पटाओ। लड़की ना हुआ गोया एलियन हो। ये मीडिया वालों ने दिखाया। सेक्सी मल्लिका के जलवे शाम 5 बजे। तो ये लोग रोकेगे रेप। हिरोईन आ जाती है मत करो छेड़खानी। अपने फोटो लगा चुकी है, साइट पर। देखना मत। ऐसे ऐसे गाना आये। घर के साथ सुन नहीं सकते। लड़की नमकीन बटर है काट कर खा लो। सब डांस कर रहे है। बहन जी आपको बता रहा है। बहन जी भी लगी है। लगे रहो। लड़को को देखा डांस करते है रोड पर छेड़खानी अभियान शुरू। भाई साहब आपकी बहन है। उसको भी कोई छेड़ता होगा? कौन छेड़ेगा उसको मारेगे। और जिसको आपने छेड़ा उसका भाई? अरे वो तो कमजोर है सम्भाल लेगे। मेरे दोस्त लोग साथ देगे। लेकिन उसके भी तो दोस्त होगे जो आपकी बहन को छेड़ता है। देख लेगे। मानते नहीं ये लोग। तो मीडिया ने कहा रेप रोको। एक कार्यक्रम आता है बालिका वधू। कहता है सामूहिक शादी करो। खर्चा कम करो। दहेज मत लो। बाल विवाह मत करो। पर ये जो कार्यक्रम है इसने बालविवाह के इतने फायदे बता दिए कि पढ़े लिखे लोग इनके कार्यक्रम में फोन करते है भाई हम तो जानते ही नहीं थे, कि बाल विवाह के इतने फायदे है हम भी बालविवाह करेगे। बेड़ागर्क। इस कार्यक्रम की हिरोईन अविंका गौर न्यूज रूम में बैठी है। एक महिला फोन करती है बेटी मेरा लड़का है 13 साल का मैं उसकी शादी करवानी चाहती हूँ तुमसे करूँगी। अरे माँजी ये कार्यक्रम तो बालविवाह रोकने को बना है और आप……….। बेचारी परेशान है। शादी कर लो।
इसी कार्यक्रम में सामुहिक विवाह का एपिसोड आया बोला खर्चा कम है कर लो। हम खुश अच्छा दिखा रहे है। पर खुशी काफूर । सात दिन कार्यक्रम हुआ। बड़े बड़े स्टार आये। एकदम खर्चा दिल खोल के। पूरा शहर सजा है। अरे मँगरू यही सस्ती शादी है इससे तो हमारा महँगा शादी ठीक है। ऐसे कार्यक्रम है।
एक और है प्रतिज्ञा है, शुरू में दिखाया । लड़की सबक सिखायेगी मनचलों को । बाद में लड़की ने मनचले से शादी कर ली। क्या हुआ क्या संदेश गया। ऐसा ही फिल्मों में लड़का लड़की का पीछा करता है, सीटी मार रे। अरे चिखरू ये सब ये लड़का करता है तो हिरो और हम करते है तो विलेन क्यों। पीछा भी हम करते है, सीटी मारते है, लड़की के भाई को मारते है। फिर भी लड़की हमको रिजेक्ट करें काहे। अऱे भाई ये सिगरेट पीता है , महँगा जूता कोट पहनता है। फटाक सेन्ट लगाता है आप नहीं लगाते हो इसलिए आप विलेन हो। अच्छा ऐसा है। गया बाजार सेन्ट खरीदने हीरो बनेगे। ये होता है।
इन्ही खबरों के बीच बता दे कि इशरत आतंकवादी एनकाउंटर केस में आईबी के अधिकारी घसीटने का कारण अब आईबी ने फैसला किया है कि वो अब आतंकी सूचना नहीं देगी। देश जाये भाड़ में अरे भाई रिटायर होने के बाद कोई विदेश जायेगा कि जेल जायेगा हाँ। तो जानकारी बन्द।
टीवी से अच्छा है अखबार जो खबर मन चाहे देखो। कोई रोक नहीं। खेल मनोरंजन, राजनीति सब है। पढ़ ले बेटा अच्छा है। फोटो भी छपवा लो कहानी लिखो कविता लिखो। मेरी भी छपी है। अखबार ठीक है। पढ़ना यही है।
और भी बात है वो बाद में।

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