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पेश है जल्द ही लैपटॉप घोटाला ( सिर्फ यूपी में)

देशभक्त भारत
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औऱ वहीं हुआ जिस बात का डर था। अन्य योजनाओं की तरह यूपी सरकार की मह्तवाकांक्षी योजना मुफ्त लैपटाप बाँटो भी भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ गया। यूपी के चंदौली में एक जागरूक नागरिक अमित कुमार ने एक स्टिंग ऑपरेशऩ किया जिसके अनुसार मुफ्त लैपटाप लेने के बदले 2500 से 3000 रू घूस कालेज प्रशासन द्वारा लिए जा रहे है। बता दे कि सरकार की योजना के अनुसार बारँहवी पास करने के पश्चात उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को मुफ्त लैपटाप बाँटा जायेगा। इसके लिए एक फार्म को भरकर अपने काँलेजो( यहाँ आप फिलहाल पढ़ रहे है) जमा करना होता। उसके बाद विद्यालय द्वारा जमा फार्मों को बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास भेजा जाता है यहाँ पात्रों का चयन किया जाता है। अब कौन पात्र है औऱ कौन अपात्र यह कौन जाने और यहीं से असली खेल शुरू होता है । आपको पात्र दिखाने के लिए पैसे वसूले जा रहे है।
असल में यह मुफ्त योजना शुरू से ही विवादों में घिरी रही है और आगे भी विवादों से घिरी रहेगी ।
असल में इन योजना के शुरू होने से पहले ही इसे फ्लाप शो करार दिया गया था। आइये जानते है क्या थी इसकी शुरूआत
फरवरी 2012 स्थान यूपी। सपा के सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश सिंह यादव ने एक मंच से घोषणा की कि वह 12 वीं पास सभी छात्र-छात्राओं को लैपटाप औऱ हाईस्कूल पास को टैबलेट बाँटेगे। उनकी इस योजना का काफी स्वागत हुआ। औऱ एकाएक ही सारी की सारी जनता लैपटाप, टैबलेट के लालच में सपा की और मुड़ गयी। और सपा ने बहुमत के साथ जीत हासिल की। सभी विद्यार्थी खुश थे कि चलो अब एक महीने बाद उन्हें लैपटाप मिल जायेगा। पर किसी ने भी सपा से यह सवाल नहीं दागा कि आखिर लैपटाप बाँटने की योग्यता क्या होगी और इसका प्रोसेस क्या होगा। और वैसे भी लैपटाप कोई चेक तो है नहीं कि तुरन्त छाप कर बाँट दे। और चेक बाँटने में भी एक वर्ष का समय लग जाता है। औऱ इसका तो आर्डर देना होगा और भी प्रकिया है। फिर उसके बाद छात्रों की बैचेनी बढ़ने लगी। वैसे भी जैसा कहा गया था कि सभी छात्रों को लैपटाप बाँटा जायेगा। सब लोग निश्चिन्त थे। और अखिलेश जी ने भी यह घोषणा कर दी कि लैपटाँप और टेबलैट छात्रों को वहीं बाँटी जायेगी जहाँ से उसने बारहवीं या दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। अगस्त 2012 में लैपटॉप और टैबलेट बनाने के लिए टेण्डर भी जारी किया गया। पर किसी भी कम्पनी ने इस पर रुचि ना दिखायी। उधर छात्र हमेशा सपा कार्यालय और विभागों में हमेशा फोन और ईमेल कर रहे थे। यह जानने को कि हमें लैपटाप कब मिलेगा। उधर यूपी सरकार अखबारों के माध्यम से छात्रों को लैपटाप की जानकारी देती जा रही थी। पर छात्रों को यह बैचेनी थी कि आखिर लैपटाप कब मिलेगे। औऱ जनवरी 2013 का वह वक्त भी आ गया जब एक जानी मानी कम्पनी एचपी ने लैपटॉप बनाने की जिम्मेदारी सम्भाल ली। सबसे कम कीमत लगायी एचपी ने । और कुल 15 लाख लैपटॉप के लिए 3700 करोड़ रु में सौदा मंजूर हुआ। और यह खबर अखबार में छपते ही सभी छात्रों ने राहत की साँस ली। पर कहानी तो अब शुरू होती है। अगले दिन अखबारों में छपी एक धुधँली खबर ने लोगो का ध्यान खींचा। इस खबर के अनुसार यूपी बोर्ड के साथ-2 सीबीएसई, मदरसा बोर्ड और संस्कृत बोर्ड से बारहवीं पास विद्यार्थियों को भी लैपटाप बाँटा जायेगा। आप कहेगे इसमें चौंकाने वाली बात क्या थी। असल में एचपी को कुल 15 लाख लैपटाप बनाने का आर्डर दिया गया था। और यूपी बोर्ड से भी कुल इतने ही छात्र पास हुए थे। तो जब सारे लैपटाप बँट जायेगे। तो अन्य बोर्ड को लैपटाप कहाँ से मिलेगे। क्या फिर से आर्डर दिया जायेगा। और एक दिन ये खुलासा हो ही गया। फरवरी का महीना था।एक दिन अखबार में खबर छपी कि लैपटाप योजना का लाभ उठाने के लिए एक फार्म भरना होगा जो आपके जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध है। पहले तो छात्रों को अजीब लगा क्योंकि उन्हें लग रहा था चयनित छात्रों की सूची हमारे पूर्ववर्ती स्कूल के टीचर ही कर देगे, तो हमारी क्या जरूरत पर एक बार फार्म देख लेते है ऐसा सोच कर बहुतों ने फार्म डाउनलोड कर लिया। पर फार्म देखते ही उनकी सारी की सारी तैयारी धरी की धरी रह गयी। क्योंकि उसमें साफ-2 लिखा था कि जिन छात्रों ने बारहवीं के पश्चात उच्च शिक्षा के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लिया है वहीं इस योजना का लाभ उठा सकते है। अन्य नहीं। अब छात्रों को पता चल गया कि सरकार सभी छात्रों को लैपटॉप देने के मूड में नहीं है। क्योंकि अधिकतर छात्र बारहवीं के बाद या तो इंजीनियरिंग मेडिकल की तैयारी करने लगते है या कई 1 या दो वर्षीय कोर्स करने लगते है। जो कि उच्च शिक्षा में नहीं आती। जैसे कि कोई कम्प्युटर कोर्स या हार्डवेयर या आईटीआई वगैरा। अब जो छात्र तैयारी कर रहे थे उन्होनें तो लैपटॉप की आस छोड़ दी परन्तु जो छात्र कोई 2 या 3 वर्षीय कोर्स कर रहे थे। उन्होने फार्म भर दिया। और जैसा कि नियम के अनुसार इसे शिक्षण संस्थान में जमा करना था करने चले गये। परन्तु यहाँ भी घपला । कहा गया कि जो छात्र ग्रेजुएशन के समक्षक औऱ बारहवीं के बाद के किये जाने वाले कोर्स कर रहे है । यह योजना उन्ही छात्रों के लिए है। मतलब अगर कोई आईटीआई जिसे करने की योग्यता हाईस्कूल है करता है तो वो इस य़ोजना का लाभ नहीं उठा सकता है। भले ही उसने सन्2012 में एग्जाम क्यों ना पास की हो। अब तो ये लोग भी बाहर हो गये। अब बचे वो लोग जो सच में ग्रेजुएशऩ कोर्स जैसे बीए, बीकाम, बीएससी या बीटेक आदि कर रहे है (यह सभी कोर्स 3 से 4 साल के है अगर आप 12वीं के बाद किया जाना वाला ऐसा कोर्स कर रहे है जो 1 या 2 साल का है तो आपको वंचित किया जा सकता है) तो इन छात्रों को भी लैपटाप मिल पायेगा यह दूभर ही है । क्योंकि अब इन छात्रों को भी राजकीय, अनुदानित स्ववित्तपोषित जैसे कार्यक्रमों से गुजरना पड़ेगा। मजे की बात ये है कि अगर आपने सन् 2012 के पहले भी बारहवीं पास की है बस पिछले साल ग्रेजुएशऩ में प्रवेश लिया है तो आप इस योजना का लाभ उठा सकते है। क्योकि यहाँ स्कूल नहीं ब्लकि कॉलेज के लिस्ट से मतलब है। एक औऱ बात अगर आपने बारहवीं यूपी से की है और उच्च शिक्षा के लिए किसी अन्य राज्य में चले गए तो आप कितने भी बड़े पढ़ाकू क्यों ना हो और आपका चयन किसी अच्छे क़ॉलेज में भी क्यों ना हो गया हो आप लैपटाप योजना से वंचित हो सकते है। पर हाँ अगर आप किसी दूसरे राज्य या देश से क्यों ना हो अगर आपने यूपी में प्रवेश ले लिया तो समझो आपकी चाँदी हो गयी। ये है कुछ खामियाँ इस कानून की।
तो हमें पता चलता है कि लैपटाप पाने की योग्यता कुछ इस प्रकार है।
1. बारहवीं के बाद यूपी के उच्च शिक्षण संस्थान में अध्यनरत हो( यूपी बोर्ड, मदरसा बोर्ड, संस्कृत शिक्षा व सीबीएसई बोर्ड)
2. स्नातक के समक्षक शिक्षा ग्रहण कर रहा हो
3. स्नातक की शिक्षा 12वीं के स्तर पर होनी चाहिए
4. अगर आप कोई ऐसा शिक्षा ग्रहण कर रहे है जो हाईस्कूल स्तर पर भी की जा सकती हो तो आप
वंचित हो सकते है। (पॉलिटेक्निक को छोड़कर)
5. शिक्षा बारहवीं के स्तर परन्तु 3 या 4 साल की होनी चाहिए।( अगर आप हार्डवेयर या नेटवर्किग कोर्स करते हो जो 1 साल की होती है तो आप वंचित होगे)
6. आप बारहवीं के बाद यूपी मे पढ़ते हो भले ही आप किसी भी राज्य से हो तो लाभार्थी है।
7. अगर आप यूपी से बारहवीं के एग्जाम पास करने के बाद किसी अन्य राज्य में उच्च शिक्षा प्राप्त करते है तो आप वंचित होगे।
तो इन सब बातों का ध्यान रखें और लैपटाप योजना का लाभ ले।
एक तरफ यूपी सरकार हर जगह यह प्रचारित कर रही है कि उसने अपना वादा पूरा कर दिया परन्तु इस तरह के नियम कानून बनाकर वह अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार रही है। असल में यूपी सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह सभी इंटर पास छात्रों को लैपटाप बाँटेगी । पर उसके नियम ऐसे है कि कुछ चुनिदा लोग ही इसका लाभ उठा पायेगे। तो सपा को अपने वादे की ओर ध्यान देना चाहिए और सबको लैपटाप बाँटना चाहिए। वरना जिसे वह महत्वाकांक्षी योजना बता रही है वह ही उसकी कुर्सी छीन लेगा। अब आने दीजिए अखिलेश को सोनभद्र में फिर देखिए कमाल।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे – जी हाँ यही हुआ मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह के साथ । एक तो इंटर पास छात्र छात्राओं को किसी तरह लैपटाप बाँट कर अपना पिंड छुड़ाने की कोशिश कर रहे अखिलेश से एक छात्र ने यह सवाल पूछा कि वह हाईस्कूल पास छात्रों को टैबलेट कब बाँटेगे। इस सवाल पर सकपकाये अक्की ने यह कह कर पिंड छुड़ाया कि वह टैबलेट की चिंता ना करे क्योंकि उन्हें अगले साल लैपटाप मिल ही जायेगा। इन्हें सुनकर ही ये लगता है कि खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। गौरतलब है कि करीब 28 लाख छात्र छात्राओं को टैबलेट बाँटना है और अभी तक आर्डर देने में ही पसीने छूट रहे है। और इस बात को अखिलेश ने भी स्वीकार किया। पिछले साल हाईस्कूल पास छात्र अब बारहवीं में पहुँच चुके है और अब अगले साल बारहवीं भी पास कर लेगे। लेकिन देखा जाये तो इंटर पास छात्रों को लैपटाप बाँटने में ही 1 साल लग गये। तो अब ये देरी हर साल होती रही। तो सिर्फ 4 बार ही .यूपी सरकार लैपटाप बाँट पायेगी। क्योंकि पाँचवे साल चुनाव होगे। अब इसका नुकसान यूपी सरकार को लोकसभा में चुकाना होगा। बहुत सारे छात्र सरकार के लैपटाप नियम से ही गुस्से में है। जैसा कि मैंने ऊपर बताया है। तो टैबलेट वाला कांड क्या गुल खिलायेगा ये तो भविष्य के गर्भ में ही सुरक्षित है। पर कहीं एकाध आन्दोलन हो गये तो सपा सरकार की नींद हराम हो जायेगी।
यूपी में लैपटाप बाँटा जाना पूरा बेवकूफी भरा कदम है। क्योंकि जिस राज्य में बिजली का घोर संकट हो, जिस राज्य के 30 फीसदी हिस्से अभी भी ढिबरी युग में है और जहाँ के लोग मजदूरी करने को मुम्बई भागते हो वहाँ लैपटाप क्या केरोसिन से चलायेगे। और वैसे भी खुद मुख्यमंत्री ने स्वीकारा है कि राज्य का खजाना पूरी तरह खाली है लेकिन ये बात गले नही उतरती कि अगर खजाना खाली है तो लैपटाप बाँटने को पैसा कहाँ से आया। ऊपर से जनता के पैसो से लैपटाप बाँटकर अपनी परमानेन्ट फोटो भी चिपका ली। यह सारे लैपटाप अब धूल फाँकेगे। क्योंकि रोज कुआँ खोदने कर पानी पीने लोग इसका रखरखाव कैसे करेगे यह ही सोचने की बात है। वैसे पहले ही दिन इसे बेचकर पैसा कमाने को सोचने वाले लोगो ने ही सरकार को आईना दिखा दिया। आगे देखते है होता है क्या। सरकार की मंशा छात्रों को तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ाने की है कही कोई तकनीकी क्षेत्र में इतना आगे ना बढ़ जाये कि सरकार की साइट ही हैक कर ले।

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