- 40 Posts
- 17 Comments
“मेरा भारत महान” । यह वाक्य बोलते हुए काफी प्रसन्नता का अनुभव होता है। “ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का इस देश का यारों क्या कहना।” यह गाने गाते हुए भुजाएँ फड़क उठती है। जय जवान, जय किसान का नारा हमेशा ही बुलन्द किया जाता है पर एक हकीकत यह भी है कि इस देश में वीरगति प्राप्त जवानों का अपमान करने में भी यह देश पीछे नहीं रहता है। शहीद तो चले जाते है पर छोड़ जाते अपने पीछे एक परिवार और यह परिवार किस दशा में है यह देखने की जहमत कोई नहीं उठाता और इन परिवारों को उनके हालातों पर छोड़ दिया जाता है। भले ही देश की सुऱक्षा में लगे सैनिक हो या पुलिस ये शहीद हो जाये या दुर्घटनावश इनकी मृत्यु हो जाए उसके बाद खुद इनके महकमे के लोगो को ये फिक्र नहीं रहती कि उनके परिवार का अब क्या होगा । नेताओं की तो पूछिए ही नहीं, ये कभी दिखावे के लिए पेट्रोल पम्प बाँट दिए या नाम मात्र की पेन्शन ही दे दी। लेकिन ये पेन्शन भी उनके विधवाओं या परिवार को मिलती है या नहीं ये देखने वाला भी कोई नहीं। तकरीबन हर राजनैतिक पार्टियों शहीदों के परिवारों की मदद का आश्वासऩ तो देती है पर पूरा करने की राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाती। पिछले दिनों यूपी के सीएम अखिलेश जी ने मंच से यह एलान किया था कि वह यूपी के शहीद सैनिकों और पुलिसकर्मियों के परिवारों पर किसी तरह का कष्ट नहीं आने देगे। उन्होनें कुछ पदक भी बाँटे और पुलिसकर्मियों के हमारे समाज पर महत्व पर भाषण भी दिया। पर शायद वो देखना भूल गये उनके राज्य के एक जनपद सम्भल में एक 80 साल की वृद्ध महिला ऐसी भी है जिनके पति यूपी पुलिस में कार्यरत थे और जिन्हें पिछले 18 वर्षों से पेन्शन नहीं मिल रही। क्या है ये पूरी खबर जानते है विस्तार से-
मैं बात कर रहा हूँ श्रीमती सोमवती देवी जी की जिनकी उम्र 80 साल है। इनके पति स्वर्गीय श्री चिन्तामणि शर्मा मेरठ के मोदीनगर थानें में हेडकांस्टेबल के पद पर तैनात थे, चिन्तामणि जी की मृत्यु 29 सितम्बर 1952 ई. को दुर्घटनावश हुयी थी । श्री मति सोमवती जी को उनकी पति की मृत्यु के बाद पेन्शन जारी हुयी । 31.12.1994 को मेरठ के एसपी ने सोमवती जी को पेन्शन जारी की।( SSP MERATH DUARA PENSON MANJURI ADESH SANKHYA आ-160/93,31.12.1994) पर सन् 1996 से सोमवती जी पेन्शन से वंचित है। सरकारी कार्यालयों में जा जाकर इनके पैर थक गये। पर जैसा कि सरकारी महकमा करते है इन्हें हमेशा आश्वासन की घुट्टी पिलायी गयी। भारत में सरकारी कार्यालयों की क्या हकीकत है यह शायद बताने की आवश्यकता नहीं है। भारत का सरकारी महकमा अर्से से आलस एवं लापरवाही का दंश झेल रहा है। किसी कार्य हेतु किस तरह से गणेश परिक्रमा करवाई जाती है यह सरकारी कार्यालय के बाहर खड़े किसी आम आदमी से पूछ लिजिए। पूरे 18 साल हो गये पर आज भी वो पेन्शन की आस देख रही है। यहाँ तक की पुलिस महकमे के लोग ही इनकी बात नहीं सुन रहे है। आँखे थक चुकी है, कान यह सुनने को बेकरार है इस इन्तजार में कि कब कोई सरकारी बाबू आयेगा और उन्हें पेन्शन की खुशी सुना जायेगा । और कहीं से ये आस जगा जायेगा कि इस देश में अच्छे लोग भी है। मेरी अपील है सरकारी बाबूओं से कि वो तुरन्त ही जाकर इन माता जी कि पेन्शऩ शुरू कर दे। और एक कर्त्तव्य निष्ठा का नजरिया पेश करें। पेन्शऩ उनका हक है और उनकी इस माँग को पूरा किया जाए। श्रीमती सोमवती जी इस समय town+post -गवाँ,near -SHISHU MANDIR.जिला-सम्भल , Up मे रहती हैं।
साथ में उनकी फोटो भी दी जा रही है।
कृपया इस खबर को पूरे जगह फैला दे क्योंकि ये किसी एक सोमवती की कहानी नहीं है, ना जाने कितनी सोमवती है जो कभी विधवा तो कभी वृद्धा पेन्शन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटती रहती है परन्तु इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ प्राप्त नहीं होता। जहाँ तक की अपने को जनप्रतिनिधी कहने वालों के पास भी इनकी मदद के लिए कोई समय नहीं रहता। आइये एक प्रयास करे ताकि किसी और सोमवती को यूं पेन्शन के लिए परेशान न होना पड़े।
माना कि अंधेरा घना है,
पर एक दिया जलाना कहाँ मना है।
नोट- कृपया अपने हर ब्लाग में इस खबर को प्रसारित करें।
Read Comments