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वाह अखिलेश आतंकवादियों को खुलेआम छोड़कर आंतक वाद से लड़ने की बात करते हो?

देशभक्त भारत
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जब मीडिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से महँगाई के मुद्दे पर सवाल पूछा था तब उन्होने कहा था कि मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिसे घुमाते ही महँगाई कम हो जाये। ऐसे ही और सवालों पर वो जादू की छड़ी की बात कर देते है। वैसे किसी के भी पास जादूई छड़ी नहीं होगी जिससे घुमाते ही वह सबकुछ जान जाये या महँगाई कम हो जाये। इसी तरह जब पुलिस से किसी घटना पर सवाल पूछे जाते है तब वो भी कहती कि हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे वह अपराधी के बारे में जान जायें, पर लगता है यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह के पास एक ऐसी जादू की छड़ी है जिसे घुमाते ही वह जान जाते है कौन अपराधी है या कौन बेकसूर। जहाँ तक की उनकी जादूई छड़ी ने उन्हें यह भी बता दिया है किस धर्म और सम्प्रदाय के लोग एकदम निर्दोष होते है। वैसे हमारे खखोरन न्यूज के संवाददाता भुक्खन ने बताया है कि वह बेकसुर नौजवान किसी शान्तिप्रिय धर्म से सम्बधिन्त है।
वैसे में यह बात बिना किसी सबूत के नहीं कह रहा हूँ। चुनाव के दौरान ही अखिलेश जी ने यह घोषणा की थी कि वह जेल में बन्द शान्तिप्रिय धर्म के बेकसूर नौजवानों को जेल से ऱिहा कर देगे, जिन पर आंतकवाद का भयंकर मुकदमा चल रहा है। वैसे बिना जाँच के ही वह कैसे जान गये कि सारे आंतकवादी निर्दोष है ,यह काबिलेतारिफ है। इसलिए मैं कहता हूँ कि उनके पास जादूई छड़ी है। पुराने मामले तक तो ठीक था पर नये मामलों पर भी उनका यह नया रूख सबका चौंकाने वाला है।
खबर है कि दुर्गापूजा के दौरान फैजाबाद में हुए दंगे के अभियुक्तो पर चल रहे मुकदमे वापस लेने की तैयारी है। राज्य सरकार ने इसके लिए जिलाधिकारी से रिपोर्ट माँगी है। जिन लोगो के मुकदमे वापस लेने के लिए रिपोर्ट माँगी गई है, उनमें हत्या के आरोपी भी शामिल है। जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रो में हुए उपद्रव के दौरान आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें भदरसा में हुए उपद्रव के दौरान दुर्गाप्रसाद की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष मुहम्मद अहमद (इस नाम से मिलते जुलते अन्य नामो के मालिक शान्तिप्रिय धर्म के लोग होते है) सहित 31 लोग नामजद हैं। इन पर हत्या, आगजनी, लूटपाट, पुलिस पर हमला का भी मुकदमा दर्ज है। इसे वापस लेने के लिए जिलाधिकारी ने रिपोर्ट माँगी है। इसके अलावा नगर कोतवाली क्षेत्र में पीस पार्टी के नेता तौहीद समेत 29 पर दर्ज मुकदमे को भी वापस लेने के लिए रिपोर्ट माँगी है। इसके लिए पुलिस रिपोर्ट तैयार है। जल्द ही ये दंगाई खुलेआम घूमेगे। औऱ दंगे करेगे। बम ब्लास्ट भी कर सकते है। फिर भी ये शान्तिप्रिय धर्म के लोग ही कहलायेगे। वैसे इन दंगो में पीस पार्टी के लोग भी शामिल है। अब ये कौन सा पीस फैला रहे है यह इन पर लगे केस चीख-2 कर बयां कर रहे है।
ये कोई पहला केस नहीं है जिसमें मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगो के केस वापस लेने की तैयारी कर रही है। इसके पहले भी फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ की कचहरियों में हुए सीरियल बम विस्फोटो के आरोपियों के भी मुकदमे लेने की कोशिश राज्य सरकार ने की थी , लेकिन अधिवक्ताओं को प्रबल विरोध के चलते सरकार ऐसा नहीं कर सकी। जहाँ तक की उच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। और सख्ती बरतते हुए कहा था कि राज्य सरकार ऐसे आंतकियों का पक्ष ना ही ले तो बेहतर।
अब मान लेते है कि निर्दोष लोगो को जेल में नहीं बन्द करना चाहिए पर सिर्फ मुस्लिम ही क्यों अन्य धर्म क्यों नहीं। ऐसे तो कोर्ट में 3 करोड़ मामले लंबित है, उनमें कोई न कोई निर्दोष तो होगा ही । क्य़ा उनके लिए राज्य सरकार कुछ करेगी? और जिन कथित बेगुनाह आंतकवादियों को राज्य सरकार रिहा करने की सोच रही है क्या वो सच में निर्दोष है। अगर राज्य सरकार चाहती तो आंतकवाद के मामलों को निपटारे के लिए एक अलग कोर्ट की स्थापना कर देती जिससे बेगुनाहों का पता चल जाता। अगर उनमें से कोई कथित बेगुनाह (वैसे सारे के सारे आंतकी ही है) ने जेल से बाहर निकल कर बम विस्फोट कर दिया तब क्या यूपी सरकार उसकी जिम्मेदारी लेगी? माना कि अखिलेश जी ने बेगुनाह मुसलमानों को रिहा करने का चुनावी वादा किया था पर बिना कोर्ट के आर्डर पर वो रिहा कैसे कर सकते है जबकि उन्हें पुलिस के साथ-2 क्राइम ब्यूरो और एसटीएफ भी आंतकवादी करार चुकी है। सिर्फ घर वालों द्वारा ये कहने पर कि वो आंतकी बेगुनाह है राज्य सरकार उन्हें छोड़ दूँगी। क्या कोई कभी ये कहता है कि मैंने फलां अपराध किया। वो तो बेगुनाह ही है अपने नजरों में है। सारी जेले खाली हो जायेगी क्योकि सब कोई अपने को बेगुनाह मानेगे। अच्छा है ये अखिलेश सिंह देश का पीएम नहीं है वरना ये अफजल और अजमल को भी बेगुनाह साबित कर उनके ऊपर से केस वापस ले लेते।
मजे की बात ये है कि अभी तक बिकाऊ इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इस खबर को कभी नहीं दिखाया। क्यों, क्योकि यह घटना एक सेक्युलर सरकार में घटी थी। अब तक यूपी में 12 महीनों में 28 दंगे हो चुके है फिर भी एक भी दंगे को इस दलाल मीडिया ने नहीं दिखाया। औऱ पता नहीं किस मुहँ से सपा अपने आप को सेकुलर बोलती है। उसके राज्य में दंगे पर दंगे हो रहे है। अगर ये सच में सेकुलर होती तो इसके राज्य में दंगा ही नहीं होता। इस पार्टी का नेता मुलायम सिंह ये कहते है कि हम साम्प्रादायिक ताकतों को रोकने के लिए यूपीए सरकार का साथ दे रहे है। मैं पूछता हूँ बरेली में कोई एलियन अटैक होने वाला था क्या जो वहाँ पर दो महीने कर्फ्यू लगा था। फैजाबाद, लखनऊ, मथुरा, आदि जगहों पर मुन्नीबाई का मुजरा हुआ था क्या जो वहाँ भीड़ को रोकने के लिए कर्फ्यू लगे थे। वहाँ भी तो साम्प्रादायिक दंगे ही हुए था ना। फिर भी ये अपने आप को सेकुलर बोलती है। वैसे अभी आगे आगे ये सरकार सेकुलिरजम के आड़ में क्या क्या गुल खिलाती है यह देखना दीगर होगा।
वन्दे मातरम्
आंतकवादियों के बाद अब दंगाइयों पर सरकार मेहरबान

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