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बदलाव जरूरी है पर शर्तों के साथ

देशभक्त भारत
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मित्रों आज एक बात साझा करना चाहता हूँ। आपको याद होगा पिछले साल एक खबर आयी थी। खबर असम से थी । इस के अनुसार एक रात जब एक लड़की जब अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर के घर आ रही थी तब कुछ लड़को ने उसके साथ छेड़खानी कि और उसका विडियो भी बनाया। इस खबर को एक खबरिया चैनल पर दिखाया जाने पर काफी बवाल मचा। खबरिया चैनल इस विडियो को बार बार दिखा रहा था। कई लोगो ने इस पर प्रतिकिया दी। कईयों ने कहा कि इन लड़को को रोड पर नंगा करके मारना चाहिए। कईयों ने कुछ और कहा। सबने कुछ ना कुछ कहा। पर मैं चुप रहा। सोचा पूरी खबर देखूँ फिर बोलूगाँ। सोशल साइट पर भी प्रतिक्रिया आने लगी। मेरी नजर ने विडियों में कुछ देखा। मैंने देखा कि वो लड़की नशे में लग रही है। उसे कुछ होश नहीं है। औऱ मेरे इस शक की पुष्टि की एक दर्शक ने ।उसने बताया कि वह लड़की एक क्लब से निकली थी। और नशे में थी । पहले उसने अपने ब्वायफ्रैंड के साथ लड़ाई की। फिर रोड पर हंगामा करने लगी। और फिर जो हुआ उसने देश को शर्मसार कर दिया। अब आप कहेंगे कि शराब के छेड़छाड़ से क्या सम्बंध? अगर उसने शराब पी थी तो क्या आप उसके साथ छेड़खानी करोगे? मैं कहूँगा , नहीं । छेड़छाड़ गलत है। पर क्या शराब पीना सही है? आप कहोगे यह स्वतंत्र देश है आप कुछ भी कर सकते हो। पर मैं एक बात कहूँगा।
दोस्तो समाज में हर फैली हर बुराई का विरोध हो रहा है। पर ये खत्म नहीं होती। ब्लकि औऱ बढ़ती जारी है।क्यों क्योंकि हम हर बुराई की सतही तौर पर बुराई करके बात खत्म कर देते है। वह क्यों है इस पर ध्यान ही नहीं देते।
अब आते है असली मैटर पर। भारत में शराब पीने की उम्र 18 साल है। आपको पता है उस लड़की की उम्र क्या थी? सिर्फ 14 साल। दूसरा ,वह 10वीं क्लास में थी। आप कहेगे आजकल के बच्चे ऐसा करते है। औऱ यह तो आधुनिकता है तो क्या हम आधुनिकता के नाम पर सबकुछ स्वीकार लेगे? क्या अगर कोई गलत रास्ते पर जा रहा है तो उसे जाने देगे। क्या मीडिया ने इसे दिखाने की कोशिश की? क्या किसी ने यह गौर किया कि आखिर उसे शराब की लत कहा से लगी? क्या किसी ने इसे दिखाया? क्या कोई यह सोचने पर मजबूर हुआ कि एक लड़की अगर 14 साल की उम्र में शराब पी रही है तो लडके कितने साल की उम्र में शराब पीते होगे? क्या किसी ने यह गौर किया कि उस क्लब ने उन्हें शराब क्यों सप्लाई की? क्या किसी ने गौर किया कि आखिर समाज में फैलती इस बुराई को हम आधुनिकता का चोला क्यों पहना रहे है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योकि यह देशी नहीं विदेशी शराब है। क्या किसी ने यह गौर किया कि कच्ची उम्र में नशा करने का क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा? नहीं, किसी ने यह नहीं सोचा सब सिर्फ इसकी आलोचना करने में जुट गये। उस लड़की के साथ जो हुआ जो हुआ मैं उसकी व्यापक निन्दा करता हूँ।
मैं देखता हूँ बड़े-2 सितारे भी शराब का प्रचार करते दिखाई पड़ जाते है। क्या उन्हें ये करना चाहिए।
आज मैं देखता हूँ कि हर ग्रेजुएशऩ करने वाला छात्र शराब पीता दिखाई पड़ता है और इसे अपना स्टेटस सिंबल बना लिया है। लोग इसे फैशन समझने लगे है। शराब पीयो मार्डन बनो । मैने पढ़ा कि एक कॉलेज के 96 फीसदी छात्रों ने स्वीकारा की वे शराब पीते है। इसमें लड़कियाँ भी शामिल थी। जब लड़कियों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होने बताया कि आज का जमाना आधुनिक है। इसलिए शराब पीना स्टेटस सिंबल है। और आज महिलाएं पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। इसलिए आधुनिक बनने के लिए वह भी शराब पीती है। हाँलाकि 80 फीसदी लड़कियों ने यह स्वीकारा कि वह खुद शराब नहीं खरीदती ब्लकि उनके ब्वॉयफ्रैंड खरीद कर के लाती है। उन्होने यह भी स्वीकारा की वह घर से भी शराब चुराती है।
अब बात आती है आधुनिकता की व महिलाओं की समानता की। आजकल समानता का दौर ऐसा चल पड़ा है कि हर सही गलत कार्य के लिए महिलाओं को विभिन्न सिने सितारों द्वारा उकसाया जा रहा।
अब जरा ये पढ़े- आजकल की महिलाए काफी आजाद ख्यालों की है। एक फिल्म मे हीरो की माँ शराब पीती है औऱ यह महिलाओं पुरूषों के समान्तर आने का दृश्य है।
मतलब ये कि पुरूषों ने जो गलत कार्य किया उसे आप आधुनिकता के नाम पर अपना लो। मतलब बात हो रही है समानता कि पर उलुजुलू तर्क परोसे जाते है। मतलब की कुछ पुरूष महिलाओ को शराब पी के पीटते है। बच्चों की शिक्षा की ओर ध्यान नहीं देते। तो क्या महिलाओ भी यह करने लगे। वह भी शराब पीये पति को पीटे। तो अन्तर क्या रह गया।
अब दूसरी एक विज्ञापन आता है एक स्कूटी का। जिसमें एक सिने स्टार रात में घूमने जाती है। और कहती है कि हर मजा मर्द ही क्यों ले। यह विज्ञापन महिलाओं की शक्ति बढ़ाने को है ताकि वह रात में बेरोकटोक घूम सके। मेरा उनसे एक सवाल है। क्या रात में जागकर पार्टी करना जरूरी है। एक कहानी सुनाता हूँ- हनुमान जी लंका पहुँच गए। सोचा रात में प्रवेश करेंगे, पर साँझ होते ही सूरज डूबा और पूरी असुर नगरी जाग उठी। मौज मस्ती शुरू। नाच रंग और न जाने क्या-क्या। देर रात तक सब चलता रहा। ब्राहृमामूर्हूत आने की पूर्ववेला तक सब थक गए। सोने चले गए, तब हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया। आज भारत की स्थिति भी यही है। देर रात तक जागरण, मौजमस्ती, विशेषरूप से शहरों में । प्रातः कोई उठता दीखता नहीं। भागते भागते कार्यालयों की दौड़ लगाते है। क्या हम वास्तव में आसुरी साम्राज्य में असुरों के बीच रह रहे हैं। बहुतायत उन्हीं की है।
हम इस समय देह व्यापार की समस्या देख रहे है। लाखों लड़कियों को आयात निर्यात किया जाता है । कई 13-14 साल की बच्चियो को दूसरे की जिस्म की भूख मिटाने को परोसा जाता है। मैंने एक न्यूज में देखा थाकि कैसे एक 3 गुणे 3 के कमरे में 50 लड़कियों को ठूँसा गया था। तो क्या हम अब ये चाहते है कि अब लड़कियों के साथ-2 लड़को की भी जिस्म के लिए नीलामी हो या देह व्यापार को खत्म करना चाहते है?
हमें समानता का अधिकार लाना होगा। पर वो ऐसा करता है तो मैं भी ऐसा करूँगा वाली बात कहा तक ठीक है। अगर कोई पढ़ाई नहीं करता तो क्या हम भी समानता के नाम पर पढ़ाई छोड़ देगे। नही ना ।तो फिर अच्छी बात ग्रहण करो गलत नहीं।

जय सिया राम

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